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http://www.sewayojan.org/
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विश्व–युद्ध की समाप्ति पर विमुक्त सैनिकों को सेवायोजित कराने के उद्देश्य से सन् 1945 में केन्द्रीय स्तर पर
पुनर्वास एवं रोजगार महानिदेशालय की स्थापना की गयी, जिसके नियंत्रण में देश के विभिन्न भागों में सेवायोजन
कार्यालयों की स्थापना हुई। संसद समिति की संस्तुतियों के कार्यान्वयन के फलस्वरूप 1956 से सेवायोजन कार्यालयों का
दैनिक प्रशासन केन्द्रीय सरकार ने प्रदेश शासन को हस्तान्तरित कर दिया गया तथा सेवायोजन कार्यालयों ने अनुपालन
की जाने वाली नीति एवं प्रक्रिया के अधिक प्रभाविक बनाने के उद्देश्य से 1959 में भारतीय संसद ने सेवायोजन
कार्यालय (रिक्तियों का अनिवार्य अधिसूचना) "अधिनियम,1959" पारित किया गया, जिसे मई,1960 से पूरे देश में
( जम्मू कश्मीर के अतिरिक्त)प्रभावी किया गया ।
31–12–2010 को उत्तर प्रदेश में सेवायोजन सेवा के अन्तर्गत 92 सेवायोजन कार्यालय कार्यरत हैं। अनुसूचित
जाति , अनुसूचित जनजाति, पिछडे वर्ग तथा विकलांग वर्ग के अभ्यार्थियों की सेवायोजकता में वृद्धि करने के उद्देश्य
से 52 शिक्षण एवं मार्ग दर्शन केन्द्र विभिन्न जनपदों में संचलित हैं।
उक्त के अतिरिक्त 11 जनपद जहां सेवायोजन कार्यालय नहीं हैं, वहां पंजीयन केन्द्र स्थापित हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देश के सन्दर्भ में इस निदेशालय के अन्तर्गत कामकाजी महिलाओं के यौन
शोषण एवं मानसिक यंत्रणा के बचाव के लिए शिकायत समिति का गठन किया गया हैं। समिति की अध्यक्ष महिला
हैं एवं एक सदस्य स्वयं– सेवी संस्था की महिला सदस्य हैं।
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